National Highways Toll: अगर आपने कभी ट्रेन से यात्रा की है तो आपको इस बारे में पता होगा। ट्रेनों में रोजाना यात्रा करने वालों के लिए मासिक सीजन टिकट या MST का प्रावधान है। इससे उन्हें सस्ता तो पड़ता ही है साथ ही उन्हें हर दिन टिकट खरीदने से भी छुटकारा मिल जाता है। हाईवे पर कार चलाने वालों के लिए भी यही किया जा सकता है। जानिए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी क्या कह रहे हैं।
अगर आप ट्रेन से यात्रा करते हैं तो आपको पता होगा कि भारतीय रेलवे अपने दैनिक यात्रियों को मासिक सीजन टिकट या एमएसटी पास जारी करता है। इसी तरह आने वाले समय में कार मालिकों को भी टोल रोड का इस्तेमाल करने के लिए ऐसे मासिक या वार्षिक पास जारी किए जा सकते हैं। इससे जहां टोल चोरी की घटनाएं कम होंगी, वहीं सरकारी खजाने में भी बढ़ोतरी होगी। लोगों को झंझटों से राहत मिलेगी, वो अलग बात है।
कहां से आया मासिक पास का आइडिया?
मंगलवार को दिल्ली में ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) पर एक अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस दौरान केंद्र सरकार में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने टोल नाकों के लिए कार मालिकों को मासिक और वार्षिक पास जारी करने का आइडिया दिया। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कार मालिकों को भी मासिक और वार्षिक पास जारी करने पर विचार चल रहा है। सचिव अनुराग जैन और एनएचएआई के चेयरमैन संतोष कुमार यादव ने इस पर विचार किया।
झंझट खत्म होगा
गडकरी का कहना है कि टोल नाकों के लिए मासिक या वार्षिक पास जारी करने से सड़क बनाने वालों को पैसा मिलेगा और झंझट भी खत्म हो जाएगा। परिवहन मंत्री द्वारा कार मालिकों को मासिक पास जारी करने की बात को आने वाले समय में सकारात्मक बात के तौर पर देखा जा रहा है। जिसमें टोल नाकों पर इस तरह की व्यवस्था शुरू की जा सकती है। हालांकि, देश में कुछ जगहों पर अभी भी इस तरह के मासिक पास जारी किए जाते हैं। लेकिन यह मासिक पास सिर्फ टोल नाकों के आसपास रहने वाली आबादी के लिए होता है। उनकी पहचान उनके आईडी के जरिए सुनिश्चित करने के बाद उनसे कुछ पैसे लेकर इस तरह के पास जारी किए जाते हैं।
हाइब्रिड मॉडल पर हो रहा है काम
सैटेलाइट आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम में विभाग शुरुआत में हाइब्रिड मॉडल पर काम कर रहा है। जिसमें टोल नाके की दो लेन सैटेलाइट आधारित टोल देने वाले वाहनों के लिए और बाकी मौजूदा सिस्टम फास्टैग वाले वाहनों के लिए रखी जाए। फिर जैसे-जैसे यह जीएनएसएस आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन बढ़ता जाए। धीरे-धीरे टोल प्लाजा की बाकी सभी लेन को भी सैटेलाइट लेन बनाया जाए।
कई देशों से आए थे विशेषज्ञ
इस कार्यशाला में कई देशों से विशेषज्ञ भी आए थे। इसका उद्देश्य यह पता लगाना था कि भारत में वाहनों को टोल प्लाजा पर रोके बिना उनसे सैटेलाइट आधारित टोल कैसे वसूला जा सकता है। इसमें दुनिया में और क्या बेस्ट प्रैक्टिसेज हैं। जिससे भारत के लोग बिना किसी परेशानी के टोल देकर टोल रोड का इस्तेमाल कर सकें। कार्यशाला में केंद्रीय राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा और अजय टम्टा भी मौजूद थे।